Friday, June 5, 2009

बिजली की कौंध -सी खुशी

बादलों के बीच जब
बिजली चमकती है
क्षण भर को ही सही
हर चीज ढक जाती है



और उस बिजली की कौंध
काफी गहराई तक जाती है

ऐसे ही होते है लम्हे खुशी के
पल भर को ही सही
हर गम जाती है
और पल भर को ही आती है

गर उसे संजो ले हम
बिजली की कौंध की तरह
तो ग़मगीन पल को जिन्दगी पे
बादलों की तरह छाने नही देगी

उस एक पल को ही सही
क्यूं इस गहराई में रख ले
कि कोई जख्म उससे गहरा हो

बिजली की कौंध और
जिन्दगी में खुशी
पल भर को आती है
अँधेरा और गम मिटा जाती है

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