Friday, June 5, 2009

ख्वाबों का जहां

कुछ पल ख्वाबों को
हकीकत से टकराने न दो
जिन्दगी को कभी- कभी
ख्वाब में जी जाने दो


हर मुराद , हर तमन्ना
कोई ख्वाहिश न हो अधूरी
चंद लम्हों को ही सही
जी ले इंसान जिन्दगी पूरी


जिन्दगी हो ,जिन्दादिली हो
कोई बंदिश न वहाँ हो
अरमानों से सजा
ख्वाबों का इक जहां हो

3 comments:

  1. Extremely Beautiful Innocent and Simple and Full of Joy Just Like the Smile of Small Kid.

    Keep Smiling Always!

    Hope You will get your dream true one day.

    World Of Dream ! Is it A Dream ?

    Anyways Nice Poem,Nice Picture and Nice Blog and Nice Nice Nice............

    Best Wishes
    Kshitij

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  2. पंखुड़ी जी,
    नमस्कार !
    आपका लेख "ख्वाबों का जहाँ" पढ़ा । आपको हिंदी के एक सशक्त मंच के सृजन एवं कुशल संचालन हेतु बहुत-बहुत बधाई !!!
    खास बात ये है की आपके हर आर्टिक्ल मे कुछ नयी और बेहद रोचक जानकारी होती है ।
    इन्टरनेट पर अभी भी कई बेहतरीन रचनाएं अंग्रेज़ी भाषा में ही हैं, जिसके कारण आम हिंदीभाषी लोग इन महत्वपूर्ण आलेखों से जुड़े संदेशों या बातों जिनसे उनके जीवन में वास्तव में बदलाव हो सकता है, से वंचित रह जाते हैं| ऐसे हिन्दीभाषी यूजर्स के लिए ही हम आपके अमूल्य सहयोग की अपेक्षा रखते हैं ।

    इस क्रम में हमारा विनम्र निवेदन है कि आप अपने लेख शब्दनगरी "www.shabdanagri.in" पर आपके नाम के साथ प्रकाशित करें । इस संबंध में आपसे विस्तार से बात करने हेतु आपसे निवेदन है की आप हमसे अपना कोई कांटैक्ट नंबर शेयर करें ताकि आपके रचना प्रकाशन से संबन्धित कुछ अन्य लाभ या जानकारी भी हम आपसे साझा कर सकें ।
    साथ ही हमारा यह भी प्रयास होगा की शब्दनगरी द्वारा सभी यूज़र्स को भेजी जानी वाली साप्ताहिक ईमेल में हम आपके लेखों का लिंक दे कर, आपकी रचनाओं को अधिक से अधिक लोगो तक पहुंचाएँ ।
    उम्मीद है हमारी इस छोटी सी कोशिश में आप हमारा साथ अवश्य देंगे ।
    आपके उत्तर की प्रतीक्षा है ...

    धन्यवाद,
    संजना पाण्डेय
    शब्दनगरी संगठन
    फोन : 0512-6795382
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